Prakash thakur

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Tuesday, 13 September 2011

gonu jha - guru ka aasirbad


गोनू झा नित्य पाठशाला तं जाइत छलाह मुदा पाठ कहियो याद नहि करैत छलाह | गुरु जी हुनका डाँट - दबाड़ करैत छलथिन मुदा ओ तकर कनिको फिकिर नहि करैत छलाह |

एक दिन गुरूजी सभ विद्यार्थीसँ पाठ सुनि रहल छलाह | सभ गोटे अपन - अपन पाठ सुना देलनि, मुदा गोनू झाक बेर अयलनि तं ओ कहलथिन - गुरूजी आइ नै काल्हि सूना देब |

गुरूजी बजलाह - " अच्छा, जँ काल्हि नहि सुनयबी तs पीठक खाल खीचि लेबह | "

छुट्टी भेल | सभ विद्यार्थी अपन - अपन घर चलि पड़लाह |

दोसर दिन सभ विद्यार्थी पाठशाला पहुँचला | गोनू झा सभसँ आगू अपन जगह पर डटल छलाह |

कनेक कालक बाद गुरूजी कक्षामे अयलाह | ओ गोनू झासँ - " की गोनू, पाठ याद कयलौं ने ? "

- " हँ गुरूजी | '

- " तs सुनाउ! "

- " आइ नै, काल्हि गुरूजी! "

- " से कियक? "

- " अहाँ आइ नै, काल्हि सुनयबाक लेल कहने रही! "

गोनू झाक बुधियारी गुरूजी बुझि गेलाह, ओ कहलनि - " गोनू, हम अहाँकेँ चीन्हि गेलौं अछि | हम अहाँक खाल घीचि लेब !

- " गुरूजी ! हम वर्ख दिनसँ पाठशाला आबि रहल छी | हम गोनू छी | आ से अपने अखन धरि चिन्हने नै रही? "

- " हम आहाँ केँ नीक जकाँ चीन्हि गेल छी | अहाँ एक नम्बरक फनटूस लड़का छी | हम आइ फेर कहि दैत छी जे काल्हि अर्थात वृहस्पतिकेँ सम्पूर्ण पोथी समाप्त कs नै अनलौं, तs बुझि लिअs जे अहाँक कुशल नहि अछि |


- ' जे आज्ञा गुरूजी | " गोनू नहुएसँ बजलाह |

वृहस्पतिकेँ गोनूझा समय पर पाठशाला पहुँचलाह | अबितहि ओ गुरूजीसँ कहलनि - " गुरूजी, हम पोथीकेँ समाप्त कs देल अछि | "

- " लाउ पोथी ! एखने हम पुछै छी | "

- " हम तs ओकरा काल्हि सांझहिमे समाप्त कs देलहु, आब कतs सँ दिअ?

- " हम कहै छी, पोथी लाउ ! "

- " अहाँ नै बुझलियै गुरूजी, हम अहाँक आज्ञानुसार काल्हि जाइते पोथीकेँ फाड़ी समाप्त कs देल | "

- " रे गोनुआ! हम कहि दै छिऔ, काल्हि नव पोथी कीनि कs पाठ नै सुनयलें तs तोहर प्राण लs लेबौ | "

- " अबस्स लs लेब गुरूजी! मुदा ई तs बुझा दिअ जे प्राणक की रूप अछि? "

- " प्राणक कोनो रूप नहि होइछ गोनू | ई प्रत्येक शरीरमे हवाक रूपमे वर्तमान रहैत अछि!

- " तखन तs हम एखनो बुझा दैत छी | "

- " की? "

- " यैह जे नव पौथीक लेक माय हमरा पाइ नहि देतीह तेँ हमार शारीरसँ प्राण लs लिअ एखने प्राण दs रहल छी | " आ ई कहैत गोनू झा मुँहसँ हवा छोड़य लगलाह |

गुरूजीकेँ हँसी लागि गेलनि, ओ कहलथिन - " गोनू, तोरा विद्या नहि लिखल छह | परंच बुधयारीमे तोरा क्यो पछाड़ी नहि सकैत छथुन | ई आशीर्वाद छह | "

गोनू झा माथ झुका ई आशीर्वाद ग्रहण कयलनि |
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Maithili kahanin - pita ka aasirbad

गोनू झाक पिताकेँ ज्योतिषी लोकनिसँ हाथ देखेबाक बड़ सौख रहनि | दूर दूरसँ हस्तरेखा देखनिहार आबथि आ हुनका बूडि बना पाइ ऐंठी, विदा भs जाइत छलाह |

एक दिन गोनू झाकेँ किछु पैसाक आवश्यकता छलनि | ओ अपन पितासँ छलनि | ओ अपन पितासँ पाइ मँगलनि मुदा पिता पाइ देब अस्वीकार कs देलथिन | तखन गोनू झा हुनक दुर्वलतासँ लाभ उठ्यबाक व्योंत लगओलनि | आ एकटा नाटक मंडलीमे गेलाह | ओतsसँ गेरुआ वस्त्र, जटा आ एकटा कमण्डल भाड़ा पर लs अनलनि | पशचात ओ गेरुआ वस्त्र पहिरलनि, माथ पर जटा जगओलनि, देहमे विभूति लेपलनि तथा हाथमे कमण्डल धारण कs अपन घरक मुहँथरि पर पहुँचि गेलाह | महात्मा बुझि गोनू झाक पिता हुनका बड़ आदरसँ बैसओलनि आ पुछ्लनि - " महाराज, कतs आगमन भेलैक अछि? "

महात्माजी मुहँ पर आंगुर राखि स्वयंकेँ यौनी बाबा कहलनि आ इशारासँ बुझओलानी जे हम सिलेट - पाटी पर लिखिकs गप्प करब |

गोनू झाक पिता महात्माजीकेँ नीक - निकुत भोजन करओलनि | तदुपरांत अपन भाग्यक मादे जिज्ञासा कयलनि |

महात्माजी गोनुझाक पिताक - आगू - पाछंक सम्पूर्ण खेढ़ा कहि देलथिन | ओ ई सुनि गद् - गद् भs गेलाह तथा महात्माजीकेँ दक्षिणास्वरुप बहुत रास धन एवं एकटा औंठी प्रदान कयलनि |

एम्हर महात्माजीक भविष्यवाणी पर सम्पूर्ण गाममे हल्ला मचि गेल | सभ अपन - अपन भाग्य पुछबाक लेल हुनका लsग आबs लागल |

महात्माजी सभक वखान करैत धन बटोरय लगलाह | किछुए दिनमे बहुत रासधन एकट्ठा भs गेलनि आ ओ ओतsसँ डेरा तोड़लनि | गामसँ बहरा ओ अपन हुलिया बदललनि आ अपन वास्तबिक भेषमे आबि गेलाह | महात्माक भेषके नाटक - मंडलीकेँ सुपुर्द कs किछु दिन भरि एम्हर - ओम्हर मटरगस्ती करैत रहलाह |

एक दिन सहसा ओ घर घुरलाह | पिताकेँ हजारो टका आ एकटा औंठी देलनि |

अपन औंठी देखि गोनू झाक पिताकेँ बड़ अचरज भेलनि, ओ पुछलथिन - " अयँ हओ, ई औंठी कतs भेटलह | '

गोनू झा सम्पूर्ण रहस्य फोलि देलथिन | आब हुनकर पिताकेँ नहि रहल गेलनि, ओ कहलथिन - " गोनू, तों तs बापोकेँ नै छोड़लह! | "

- " बाबू, अपने घरमे पहिने बुद्धिक परीक्षा लेबाक चाही आ तखन बाहरक लोक पर हाथ साफ़ करबाक चाही | अहाँ हमरा आशीर्वाद दियs जे हम ऐ विद्या प्रसादे सफल होइत रही | "

- " बेटा संतानकेँ सदा पिताक आशीर्वाद रहैत छैक | तों ऐ पेशामे माहिर बनs तथा तोहर ख्याति दिन दुन्ना - राति चौगुन्ना पसरैत चलि जाओ |

गोनू झा माथ नबाकs पिताक आशीर्वाद ग्रहण कयलनि |
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Maithili kahani - gonu jha ka kali ka aasirbad

मिथिलामे माँ काली शक्तिक अवतार मानल जाइत छथि | गोनू झा हुनकहि उपासक छलाह | हुनक उपासना कयलाक बादहि ओ कोनो आन काज करैत छलाह | तेँ हुनका प्रत्येक काजमे सफलता भेटैत छलनि |

एक दिन गोनू झा निशचय कयलनि जे, जेना हो, माँ कालीक दर्शन कायल जाय | एहि लेल ओ निरन्तर हुनक आराधना करय लगलाह | काली प्रसन्न भेलथिन आ निशचय कयलनि जे साक्षात् दर्शन देबासँ पूर्व गोनू झाक साहसक परीक्षा लेल जाय |

एक राति गोनू झा सूतल रहथि | निसभेर रातिमे माँ कालीक दर्शन देलथिन | हुनकर रूप विकराल छल | एक सय मुहँ रहनि मुदा हाथ दुइये टा | गोनू बाबू हुनकर ई रूप देखि कनिको विचलित नहि भेलाह | ओ पहिने तs हुनका प्रणाम कयलनि मुदा गोनू ठठाकs हँसि पड़लाह |

माँ कालीककेँ विशवाश रहनि जे हुनकर ई भयंकर रूप देखि गोनू झा विचलित भs उठताह, मुदा हुनका हँसैत देखि पुछलथिन - " की, हमर ई रूप देखि अहाँकेँ डर नै भेल? "

गोनू झा कहलथिन - माँ बाघसँ डर होइत छैक मुदा ओकर बच्चा ओकरासँ कनेको नहि डराइत अछि, अपितु ओकरा देह पर कदैत - फनैत रहैत अछि | तखन अहीं कहू जे अहाँ सँ अहाँक नेनाकेँ डर लगतै? "

माँ काली कहलथिन - " गोनू अहाँक मन्तव्य एकदम सत्य अछि | मुदा ई तs कहू जे हमरा देखि अहाँकेँ हँसि कियक लागि गेल? "

गोनू झाक उत्तर भेलनि - " हे माँ हमरा मात्र एक मुहँ आ एक नाक अछि, मुदा दु टा हाथ रहितो सर्दी भेला पर नाक पोछैत - पोछैत फिरीसान रहैत छी " |

- " अहाँ कहs की चाहैत छी ? "

- " अहाँकेँ एक सय मूँह आ एक सय नाक अछि, मुदा हाथ दुइये टा | हमरा चिन्ता भs गेल जे सर्दी भेला पर अहाँ अपन नाक सभ कोना पोछैत होयब | आ यैह कल्पना करैत हमरा हँसी लागि गेल " |
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Maithili kahani - aakta chhala gonu jha


हमरा गोनू झाक मादे किछु नहि कहबाक अछि | गोनू झा स्वयं एक टा चरित्र छथि जे अपने खिस्सामे बहुत किछु कहि जाइत छति |

गोनू झा कोनो खिस्सा नहि लिखलनि | हुनकर सम्पूर्ण जीवने एहन-एहन विशेषतासं भरल - पुरल छल जे ओ खिस्सा बनि गेल | आ जे खिस्सा एखन मिथिलाक गाम - गाममे बूढ - पुरनियांसं सुनल जा सकैछ, प्रसंगवश कोनो उदहारणमें प्रयोग होइत देखल जा सकैछ |

अपन देशमें एहि चरित्रसं मिलैत - जुलैत बहुतो चरित्रक खिस्सा प्रचलित अछि. जाहिमे प्रचलित अछि बीरबल, तेनालीराम, गोपाल भीड़, देवन मिसर, आदि | मुदा गोनू झा एहि सभसँ भिन्न छथि | हिनक खिस्सामें अलगटटे चिन्हल जा सकैछ, कारण एहि खिस्सा सभक ह्रदय रहैत छैक धुर्तई | आ तें गोनू झाकें ' धूर्त - शिरोमणि ' क विशेषणसं अभिहित कयल जाइत अछि | गोनू झा वीरबल, तेनालीराम, गोपाल भांड, अथवा अन्य अन्य परिचित चरित्रसं भिन्न रहने एखनो जीवित छथि |

गोनू झाक ई चरित्र - कथा कतहु लिपिदिध नहि अछि | एही कथा सभकें मिथिलामें कहबाक परम्परा रहल अछि | आ जे नाटकक एक उपांग ' एकालाप ' सदृश होइछ | कथा कहबा काल कथावाचक किछु बात तं शब्दशः कहैछ मुदा बहुत रास बात ओकर भाव - भंगिमा द्वारा अभिव्यक्त होइछ | आ सैह भावः - भंगिमा गोनू झाक चरित्र - कथाक चमत्कार अछि | अर्थात् जखन कथामे निहित धुर्तई आ कथा वाचकक भावः - भंगिमा संगमे होइछ तखने गोनू झाक असली कथाक सागर लहरा उठैछ |
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lekh - khattar kaka

मोबाइल आ इन्टरनेट ई दुनियाँ मे जे परिवर्तन आनने हो से दोसर गप्प, मुदा हम दाबी सँ कहि सकैत छी जे हमर घर मे क्रान्ति जरूर आएल अछि. आब अहाँ लोकनिक काकी’क चुल्हा-चिनवार बिल्कूल “ग्लोबल” भ’ गेल अछि. ओ पूरे दुनियाँ’क सम्पर्क मे रहैत छथि आ नहि जानि केहेन केहेन प्रश्न पुछैत रहैत छथि. पहिने तऽ बात केवल केवल प्रश्ने टा तक सीमित छल मुदा आब बात ओहि सँ आगू निकलि गेल. पुरे दुनियाँ के छकाबे वाला अहाँक खट्टर काका आब काकी सँ हारि मानैत छथि. आब हम बुझए लागलहुँ जे भाँग हम खाइत छी आ ओ किएक बोतलाएल रहैत छथि?
आई भोरे भोर चाह पीबाक काल काल मे हमरा पुछए लागलीह, “अहाँ ओसामा बिन लादेन’क बारे मे की जानैत छी?”
हम कहलिअन्हि, “ओसामा के बारे मे कोनो बात आब नुकाएल अछि की?”
हुनकर जवाब छलन्हि, “ओ अरब जगत के दोसर खट्टर काका छलैथ।”
हमरा नहि बुझल छल जे हमर प्रतिद्वन्द्वी अफगानिस्तान के कबायली इलाका मे रहैत अछि. खट्टर काका आ ओसामा बिन लादेन मे समानता ताकब सबहक मजाल नहि. मुदा जखन कल्पना अपन चरम सीमा केँ पार कऽ जैत छैक तऽ ओहि ठाम सँ कल्पना कयनिहार’क बतहपन शुरु होइत छैक. अहाँक काकी’क हऽद जानबाक लेल हम हुनका खोदनाय शुरु केलहुँ.




बूढ़’क अर्थशास्त्र’क पछुलका अँक मे पढ़लहुँ जे दू टा सरदार (मनमोहन सिँह आ अहुलवालिया) मिलि अर्थशास्त्र मे घोर गलती केने जा रहल छथि. बढैत जनसँख्या, अन्ग्रेजी बाजबाक योग्यता आ कम्प्युटर’क सामान्य जानकारी पर भारत केँ सुपर पावर बनेबाक योजना बना रहल अछि. मुदा ई दुनू टा सरदार बिसरि गेल छथि जे एखुनका ६५% यूवा जनसँख्या तीस साल बाद बुढ़ा जायत. तखन नहि तऽ आर्थिक प्रगतिए रहत आ नहि सुपर पावर बनबाक कोनो लालसा. चारु दिस बुढे-बुढ आ बुढ़ सँ जुड़ल अर्थशास्त्र.



हम हुनकर पहिल प्रश्न’क जवाब दैत कहलिअन्हि, “ओसामा बिन लादेन मात्र एकटा आतँकवादी छल आ हुनकर गति ओहने भेलनि जेना कोनो सामान्य आतँकवादी’क होएत छन्हि. आतँक’क एतेक बड़का साम्राज्य कोनो काज नहि एलनि. अमेरिका हुनकर घर मे जा केँ मारि देलकनि आ किनको कानो कान खबरो नहि भेलनि”।



“तऽ अहुँ वैह बुझैत छी जे बाँकी दुनियाँ बुझैत छैक”, अहाँ लोकनिक काकी अपन इन्टरनेट सँ ताकल जानकारी पर कनफ़िडेन्ट छलीह आ हम ई पहिने भाँपि गेल छलहुँ।
तेँ हुनकर जानकारी केँ हम चुनौती दैत कहलिअन्हि, “इन्टरनेट सँ ताकल जानकारी ओतेक विश्वसनीय नहि होएत छैक. पूरे दुनियाँ के बुझल अछि जे ओसामा की छल।”




“हम कहलहुँ ने, ओसामा अरब जगत के दोसर खट्टर काका छलाह” ओ फेर सँ वैह दोहराबैत कहलीह.
हम कहलिअन्हि, “ हँ हमरा बुझल अछि ओ हमरे सन हेहर छथि, वैह जिद्द, वैह arrogance, ओतबी बहस कयनिहार, मुदा एहि सँ किओ खट्टर काका नहि बनि जैत छैक”।
“ओसामा एकटा कोर्पोरेट जगत के सी.ई.ओ छलाह” सोझे सोझ अपन मुद्दा पर आबैत अहाँ’क काकी हमरा कहलैथ.
“कोन कार्पोरेशन के ओ सी.ई.ओ छल यै” हम पुछलिअनि।
“आतँकवाद अपने आप मे एकटा कार्पोरेशन छैक. एतय वैह नियम सब लागू होएत छैक जे दोसर बहुराष्ट्रीय कम्पनी मे लागू होएत छैक. कोनो भी बहुराष्ट्रीय कम्पनी सन दुनियाँ के प्रत्येक कोन मे आतँकवाद’क आफ़िस होएत छैक. ओहिना रीक्रुटमेन्ट होएत छैक. नफ़ा-नुकसान ओहिना होएत छैक. कम्पनी’क क्वाटरली रिजल्ट ओहिना घोषित काएल जैत छैक. किछु विशेष तरह’क जनता’क ओहि मे इन्वेस्टमेन्ट रहैत छैक आ एहि कम्पनी’क पर्फ़ोरमेन्स’क आधार पर आतँकवादी रुपी कम्पनी’क शेयर’क मूल्य घटैत बढैत रहैत छैक आ ओहिना आतँकवाद’क पैसा बी.एस.ई. आ डाउ जोन्स मे लागल रहैत छैक.”
एक सँग एतेक बात हमरा बुझि मे नहि आएल. हम कहलिअनि, “अहाँक एतेक बात हमरा अपच लागि रहल अछि”
ओ तपाक सँ उत्तर देलैथ, “साधारण बात अछि. आई काल्हुक नवयुवक जखन कोनो कम्पनी मे भर्ती होएत छैक तऽ की देखैत छथि. कम्पनीक की पर्फ़ोरमेन्स छै? यदि तीन साल काज काएल जाए तऽ प्रोफ़ाइल मे की बढ़ोतरी हेतैक, दरमाहा कतेक भेटतैक आ पर्क कतेक भेटतैक”
हम चुप छलहुँ आ ओ अपन तरँग मे छलीह, “ओसामा के कोरपेरेट मे भर्ती होबए सँ पहिने अफगानी, पाकिस्तानी आकि पस्तुनी यूवक यैह देखैत छथि जे हुनकर कैरियर कतय नीक रहतैक, अलकायदा मे, तालीबान मे, या जैशे मुहम्मद मे. जे अमुक यूवक केँ नीक दरमाहा आ पर्क दैत छैक ओतैये जाइत छैक.”
“आ फेर ओ लोकनि नौकरी कोना चेन्ज करैत छैक” हम चुटकी लैत पुछलिअनि.
हमर चुटकी पर ओ एना प्रतिक्रिया देलथिन जे मानू हमरा हुनकर बात बुझबाक योग्यते नहि अछि.
मुदा जवाब तऽ हुनका देनाइए छलनि, ओ कहय लागलीह, “कम्पनी मे जेना लोक नौकरी चेन्ज करैत छैक, ओसामा के लड़ाका तहिना नौकरी चेन्ज करैत छैक. जे बेसी दरमाहा देत ओतय चलि जायत. दोसर बात कम्पनी’क ब्रैन्ड मूल्य ओहि मे बहुत महत्वपूर्ण स्थान राखैत छैक. अतः यदि कोनो यूवक जैशे-मोहम्मद छोड़ि कम पैसा मे अलकायदा ज्वाइन कऽ लैथ तऽ कोनो अनर्गल नहि. ओना प्रत्येक कम्पनीक भाँति आतँकवादी सँगठन सेहो चाहैत छैक जे हुनकर कम्पनी मे सबसँ बेसी प्रतिभाशाली यूवक होबए जाहि सँ सँगठन दिन दूना आ राति चौगूना बढ़ए”.
आब हुनकर बात किछु तर्कसँगत लागि रहल छल, हम कहलिअन्हि, “से तऽ ठीक छै, मुदा ई बताउ जे प्रत्येक कार्पोरेशन के लक्ष्य होइत छै जे बेसी सँ बेसी पैसा कमाएल जाए. ओसामा के लक्ष्य तऽ एहेन नहि छल.”
“से अहाँ के के कहलक. आतँकवादी सँगठनक लक्ष्य मात्र पैसा होएत छैक. पैसा’क अलावा आओर किछु नहि” अहाँक काकी जोर दैत कहलथिन्ह.
हम हुनकर गप्प सँ सँतुष्ट नहि छलहुँ. “पैसा तऽ दोसरो तरीका सँ कमाएल जा सकैत छैक, एहेन रास्ता ओ लोकनि किएक चुनए छै”
हमरा तुरन्ते उत्तर भेट गेल, “आओर नहि तऽ की? अफ़गानिस्तान के आठवाँ पास नवयूवक केँ सोफ़्टवेयर कम्पनी मे नौकरी भेटतैक.”
“आ ओ जेहाद फेहाद...” हम पुछलिअनि.
“मात्र एकटा देखाबा. पैसा कमेनाई मुख्ये टा नहि अपितु मात्र एकेटा लक्ष्य. जे आतँकवादी सँगठन जतेक बड़का घटना के अँजाम दैत छैक ओकर मारकेट वैल्यू ओतबी बढ़ैत छैक. इहो एकटा सर्विस इन्डस्ट्री थीक जतय आदमी के मूल्य कोनो आओर चीज सँ बेसी होएत छैक”, काकी अपन जवाब सँ हाजिर छलीह.
आब हमरा लागय लागल छल जे काकी’क बात मे किछु दम जरुर छैक. हम कहलिअनि, “जँ अहाँक बात सत्य थीक, तऽ लागले हाथ इहो बता दिअ, जे आब आतँकवादी सँगठन के की हेतैक. ओसामा बिन लादेन तऽ मरि गेलैक.”
हम देखलहुँ जे काकी’क मुँह मे बुरलेल शब्द आबैत आबैत रुकि गेलनि. पत्नीधर्म इन्टरनेट सँ जोगाएल जानकारी पर बेसी भारी पड़ि रहल छलनि. ओ शालीनता सँ उत्तर देलथिन, “ओसामाक मरने किछु नहि होएत. जेना कोनो पैघ कम्पनी’क सी.ई.ओ. “रिटायर हर्ट” भऽ गेलाह. कम्पनी’क परफोर्मेन्स किछु दिन’क लेल डाँवाडोल रहत. फेर सँ वैह. कोनो दोसर लोक एहि पद केँ ग्रहण करताह आ कम्पनी केँ उपर लऽ जेबाक लेल प्रयत्न करताह”.
मोन होएत छल जे इन्टरनेट हमर जवानी मे किएक नहि आएल. अहाँ लोकनिक काकी’क बुद्धि चालीस साल पहिने खुजि जाइते. काकी’क सँ हम हारि मानि गेल छलहुँ आ हुनकर तर्क पर हम स्तब्ध भऽ चुपचाप बैसल छलहुँ. स्त्रीगण अपन पति केँ हारि मानैत नहि देखि सकैत छथि. हमरा सान्त्वना दैत कहलैथ, “ओसामा’क मरला’क बाद एखन आतँकवाद रुपी कार्पोरेट मे मन्दी अछि.”
काकी उपसँहार मे एकटा छोट सन लेक्चर दऽ देलीह, “आतँकवाद एकटा सर्विस इन्डस्ट्री थीक जाहि मे मुख्य उद्देश्य अछि पैसा लऽ केँ दोसरा लेल किछु काज करब थीक. एहि मे आउटसोर्सिँग सेहो होएत छैक. अमेरिका अरब जगत मे कब्जा केवल तेल’क पोलिटिक्स लेल केने छल. आ अरब जगत’क व्यापारी ओसामा सन लोक केँ फण्डिँग कऽ तेल’क सत्ता अपने हाथ मे राखए चाहैत छथि. ई सब पैसाक लेल खीचातानी होइत अछि. आ तथाकथित आतँकवादी एकटा स्किल्ड सोफ्टवेयर वर्कर सँ बढ़ि के किछु नहि”.
जखन हुनकर लेक्चर खत्म भेल तऽ हम जोर सँ श्वाँस छोड़लहुँ. ओसामा मरि चुकल छल. अहाँक काकी एहि स्थिति केँ आतँक’क मन्दी कहि रहल छलीह. आ एतय किछु दिन सँ हम अखबार मे पढ़ि रहल छलहुँ. भारत मे एकटा फेर सँ रीसेशन आबि रहल छल. काकी मँदी पर अपन वक्तव्य दऽ रहल छलीह. डर भेल कहीँ रिसेशन पर जँ हुनकर बहस शुरु भऽ जान्हि तऽ हुनका रोकब कठिन.
हलाँकि दू टा प्रश्न एखनहुँ मस्तिष्क मे बिर्र्रोह उठेने छल—जे खट्टर काका आ ओसामा बिन लादेन मे समानता की? आ दोसर जे आतँकवादक रिसेशन मे जन सामान्य पर की असर होएत छैक. अपने लोकनिक काकी अपन उफ़ान पर छलीह. हम चुप्पे रहबा मे अपन फायदा देखलहुँ. बाद मे अवसर भेटला पर एहि दू टा विषय केँ फेर सँ खोदब.
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