Prakash thakur

I am prakash thakur, i am a student of 11th science,
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Tuesday, 13 September 2011

shayari - good shayari


एक साग़र भी इनायत न हुआ याद रहे ।
साक़िया जाते हैं, महफ़िल तेरी आबाद रहे ।।

बाग़बाँ दिल से वतन को यह दुआ देता है,
मैं रहूँ या न रहूँ यह चमन आबाद रहे ।
...
मुझको मिल जाय चहकने के लिए शाख़ मेरी,
कौन कहता है कि गुलशन में न सय्याद रहे ।

बाग़ में लेके जनम हमने असीरी झेली,
हमसे अच्छे रहे जंगल में जो आज़ाद रहे ।
tags - shayari love shayari sad shayari

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